प्रयागराज में दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, महाकुंभ, पौष पूर्णिमा से आरंभ हो गया है। डेढ़ महीने तक चलने वाले इस आयोजन में 40-45 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है।
पहले दिन 80 लाख श्रद्धालुओं ने किया स्नान
महाकुंभ का शुभारंभ पौष पूर्णिमा के स्नान से हुआ, जिसमें सुबह 11 बजे तक ही 80 लाख से अधिक श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान कर चुके थे। यह संख्या शाम तक करोड़ों में पहुंचने की संभावना है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए स्पेशल ट्रेनें और बसें चलाई जा रही हैं।
कुंभ का महत्व और विशेषताएं
हर 12 साल के अंतराल पर आयोजित होने वाला कुंभ मेला चार स्थानों—हरिद्वार (गंगा), नासिक (गोदावरी), उज्जैन (शिप्रा), और प्रयागराज (संगम)—पर होता है। माना जाता है कि प्रयागराज का कुंभ विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यहां संगम में स्नान करने से पुण्य लाभ मिलता है। इस बार संगम में लगभग 10-12 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान करने की संभावना है।
पौराणिक और वैज्ञानिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के दौरान देवता धरती पर आकर संगम में स्नान करते हैं। शिव पुराण के अनुसार, माघ पूर्णिमा पर भगवान शिव और माता पार्वती कुंभ में भ्रमण करते हैं।
वहीं, वैज्ञानिक दृष्टि से ज्योतिषियों का कहना है कि सूर्य, शनि, चंद्रमा और बृहस्पति ग्रहों की वर्तमान स्थिति सागर मंथन के समय की स्थिति से मेल खाती है। इससे पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बढ़ता है, जिसका सकारात्मक प्रभाव मनुष्य के शरीर और मन पर पड़ता है।
महाकुंभ मेला न केवल आध्यात्मिक बल्कि भौतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी माना जाता है। श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास इस आयोजन को अनोखा और विशेष बनाते हैं।